नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

ग्रैंड मास्टर - सुरेन्द्र मोहन पाठक

रेटिंग : ३.५ /५
उपन्यास जून २ से जून ५ २०१५ के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : ईबुक
प्रकाशक : न्यूज़हंट

पहला वाक्य:
वोदका के तीन लार्ज पैग से आयी नींद से नमिता दोपहरबाद जागी तो उसे न लगा कि नशे से या नींद से उसके दिलोदिमाग ने कोई राहत पायी हो।


ग्रांडमास्टर कि कहानी शुरू होती है उस बिंदु से जहाँ मकड़जाल ख़त्म हुई थी। अगर आपने मकड़जाल नहीं पढ़ा है तो उसके विषय में आप मेरी राय इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
मकड़जाल
अगर आप सीधे ग्रांडमास्टर पढना चाहते हैं तो लेखक ने इसमें कहानी के पिछले हिस्से को संक्षिप्त में बताया है। सदानंद पुणेकर माफिया का फ्रंट था लेकिन ये बात ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं थी। उसकी पत्नी नमिता तक को नहीं। उसकी पत्नी नमिता और वकील कपिल कोठारी का एक दूसरे के साथ अफेयर था। और एक साथ जीवन बिताने के लिए उन्होंने सदानंद को रास्ते से हटाने का फैसला किया। इसी योजना को निभाने के लिए नमिता ने सोते हुए पुणेकर के सर पर वार किया और उसे मौत के घाट उतार दिया। और आगे के योजना के अनुसार कपिल उसकी लाश को ठिकाने लगाकर गायब हो गया। लेकिन सदानंद पुणेकर एक शातिर आदमी था। वो ग्रैंड मास्टर था क़त्ल करने में और इसीलिए उस मुकाम पर स्थापित था। क्या उसे आसानी से मारा जा सकता था? क्या नमिता और कोठारी एक हो पायेंगे? क्या सचमुच वो एक दूसरे को प्यार करते थे या दौलत के लिए एक दूसरे का इस्तेमाल कर रहे थे? क्या क़त्ल करके बचना इतना आसान था? जानने के लिए ये उपन्यास आपको पढ़ना पड़ेगा।



ग्रांडमास्टर एक रोमांचक उपन्यास है। उपन्यास का कथानक तेजी से भागता है और इसमें इतने घुमाव आते हैं कि पाठक का अंत तक कहानी में मन लगा रहता है। जहाँ मकड़जाल में मुझे कुछ पन्ने ऐसे लगे थे जिन्हें निकाल भी देते तो कहानी में ज्यादा फर्क न पड़ता बल्कि एक कसावट ही आती वहीं इस उपन्यास में ऐसा कुछ नहीं लगा। उपन्यास कि हर एक लाइन कहानी के लिए ज़रूरी लगी और कहीं भी ऐसा न लगा कि उपन्यास को जरूरत से ज्यादा खींचा गया है। हाँ अंत में थोड़ा निराशा हुई। ग्रांडमास्टर कि विदाई ग्रांडमास्टर कि तरह न हुई।

अगर आपको रोमांचक उपन्यास पसंद आते है तो ये उपन्यास आपको निराश नहीं करेगा। उपन्यास को निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
न्यूज़हंट

FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल