नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

ड्रैकुला का हमला

स्टोरी : 3.5/5
आर्ट : 3/5
कॉमिक्स सत्ताईस नवम्बर दो हज़ार सोलह को पढ़ी गयी


संस्करण विवरण"
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 76
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स

नागपाशा का मंसूबा इस बार भी दुनिया पे फतह पाना है। और गुरुदेव भी उसके इस सपने को पूरा होते हुए देखना चाहते हैं। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए गुरुदेव नागपाशा को लेकर चले आते हैं  रूमानिया।
इधर आने का उनका मकसद है सदियों से सोये हुए शैतान वैम्पायर ड्रैकुला को दोबारा जीवित करना और फिर उसकी मदद से एक ऐसी सेना का निर्माण करना तो कि उनके सपनों को पूरा करे।

और फिर जाग गया ड्रैकुला। वो न केवल जाग गया लेकिन अब वो राजनगर में मौजूद था। वो राजनगर में हमला कर चुका था और केवल ध्रुव ही उसके हमले से राजनगर को बचा सकता था।

ड्रैकुला कैसे जागा? वो राजनगर में कैसे आया? ध्रुव और ड्रैकुला की भिड़न्त का क्या नतीजा निकला?
ये सब जानने के लिए आपको इस कॉमिक्स को पढना होगा।


बहुत सालों बाद ध्रुव की कोई कॉमिक्स पढ़ रहा हूँ। कुछ दिनों पहले जब पुष्कर घूमने गया था तो उसके स्टेशन पर दो कॉमिक्स ली थी। एक बांकेलाल का डाइजेस्ट था और दूसरा ड्राकुला का अंत। बाद में रूम में आया तो पता चला कि ड्राकुला का अंत एक श्रृखला का हिस्सा है जो 'ड्रैकुला का हमला' से शुरू होता है। अब दो ही चारा था या तो सीरीज खरीदूँ या एक बार रजनीश मामा से इसके विषय में बात करूँ। रजनीश मामा के पास कई कॉमिक्स पढ़े हैं क्योंकि वो इनके शौक़ीन हैं। दिवाली के बाद उनके यहाँ जाना था तो उनसे इस विषय के ऊपर बात की। उनके पास श्रृंखला के चार कॉमिक्स के तीन कॉमिक्स तो मिल गये थे। वो मैं पढने के लिए ले आया। और आज इसे पढ़ा है।

ये तो बात हुई कि कॉमिक्स मेरे पास कैसे आई। अब अगर कॉमिक्स की बात करें तो कॉमिक्स मुझे काफी पसंद आई।

कथानक  दिलचस्प है। आर्ट की बात करें तो वो राज कॉमिक्स में जैसे आर्ट इस्तेमाल होती है वैसे ही है। इसमें कई पश्चिमी  काल्पनिक किरदारों का इस्तेमाल किया है। कॉमिक्स में एक भेड़िया वैम्पायर है, एक एक्वा वैम्पायर है, फ्रैंकेनस्टीन मोंस्टर है। भेड़िया वैम्पायर और एक्वा जहाँ पश्चिमी साहित्य में कहीं मौजूद  नहीं  है, वहीं ड्राकुला और फ्रैंकेनस्टीन मोंस्टर को एक साथ काफी पहले से दिखाया जाता रहा है।  इन सब किरदारों का कॉम्बिनेशन कॉमिक्स को रोमांचक बना देता है। ध्रुव इन अलग अलग किरादारों से कैसे लड़ता है वो देखना मजेदार था।

 हाँ, मेरे कॉमिक्स पढ़ते हुए मेरे मन में एक दुविधा उत्पन्न हुई। कॉमिक्स में एक जगह नागपाशा का सर कटता है लेकिन फिर भी खून की एक बूँद नहीं निकलती और गुरुदेव कहते हैं उसके शरीर के कटने पे खून नहीं निकलता है। फिर वो अपने खून की आहुति ड्रैकुला को कैसे दे सकता है। जब वो चाकू से अपने को काटता है तो खून कैसे निकलता है। इस बात ने मुझे शंका में डाल दिया।

दूसरा कॉमिक्स में नागपाशा और गुरुदेव ज्यादा नहीं दिखाई दिए। अगर वो भी दिखते तो ज्यादा मज़ा आता। हाँ, अंत में ये बात दिखाई गयी है कि अगले भाग यही नागराज और ड्रैकुला में उनका अच्छा खासा रोल होगा।

 कॉमिक्स पढने से पहले मेरे मन में नागपाशा को लेकर एक धारणा थी कि नागपाशा बेहद क्रूर और खतरनाक विलन होगा। लेकिन जब कॉमिक्स पढ़ रहा था तो उसकी हरकतें देखकर हँसी रुक नहीं रही थी। मामा, जो कि राज कॉमिक्स से प्रकाशित कॉमिक्स के ज्ञान के भण्डार है, से पूछा तो उनहोंने बताया कि नागपाशा शुरुआत से ही कॉमेडी ज्यादा करता है और डरपोक क़िस्म का है। उस हिसाब से इधर उसका किरदार ठीक दर्शाया गया था।

अगर आप ध्रुव के फेन हैं तो ये कॉमिक्स आपको जरूर पसंद आएगा। मुझे तो आया। ये अपने आप में एकल कॉमिक्स भी है। क्योंकि ध्रुव और ड्राकुला की लड़ाई का क्या अंत होता है ये इसमें दिखाया गया है। क्या मैंने अगला हिस्सा पढूँगा? जरूर, ये भी कोई पूछने की बात है।


अगर आप इस कॉमिक्स को पढ़ चुके हैं तो इसके विषय में अपनी राय से मुझे जरूर अवगत करियेगा। अगर आपने अभी तक नहीं पढ़ी है तो आप इसे निम्न लिंक से मंगवा सकते हैं:
अमेज़न
राज कॉमिक्स
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